
| المقطع الأول |
| حَلِمتُ ذاتَ مرةٍ |
| بانني قدْ صِرت حاكماً |
| على قَضاءِ طي لِسانْ* |
| بَرمتُ شارِباً |
| ضَممتُه لشاربي |
| فَسارَ إسمي شَارِبانْ! |
| فَقاتُ عيْنَ حارسي |
| بكيتُ باسماً |
| ضَحِكتُ كالحِصانْ! |
| فَارغةٌ، فارغةٌ سفَائني |
| كانني أتيتُ هارباً |
| من عَالًمِ الجِنانْ! |
| فارغةٌ، فارغةٌ قَصائدي |
| كأنني نَظمتُها |
| مُخضّّّّّّّّّّّّّّّّّّّّّّّّّب البَنانْ! |
| وهِمتُ كالتأريخِ |
| جلتُ تائها ً |
| كأنني ولجْتُ |
| سدرة النسيانْ! |
| خَلَعتُ سِترتي |
| ركضتُ عارياً |
| وجدتُها...وجدتُها... |
| شقائقَ النُعمانْ! |
| المقطع الثاني |
| تبّت يدَا الحاكم |
| قد تبّت يدَاهْ |
| انه كالّليلِ |
| والنومُ أبَاهْ! |
| سيفُهُ الوالغُ |
| ما اوْسَعْ مَداه |
| مَنْ لم يَمتْ بالسيفِ |
| أردَتهُ يدَاهْ! |
| هوَ كالطاؤوسِ |
| في وقْعِ خُطاهْْ |
| يخْنِقُ الزهرَ |
| ليستنشِق شذَاهْ! |
| عَابسٌ كالموتِ |
| ما زلتُ أراهَْ |
| نافخُ الكِيرِ |
| ويحيّا من قَذاهْ! |
| يا إلهي |
| ضاعَ سيفُ الحقِِ |
| بالجُورِ نفَاهْ، |
| حاكمُ السوءِ |
| وبالموتِِ جَلاهْ! |